आदि मानव से मानव जीवन का विकास : SahiAurGalat

आदिमानव का जीवन

दोस्तों आज मैं बात करूँगा हम मनुष्य के पहले पूर्वजों की जिन्हें आदिमानव कहते हैं। आदिमानव अपना जीवन जीने के लिए फल फूल और जानवर के कच्चे माँस खाते थे। इसके लिए उन्हें दिनभर इधर उधर भटकते रहना पड़ता था। उस समय जंगल, पहाड़ और पानी ही था।

आदि मानव से मानव जीवन तक का सफर

एक बार एक आदिमानव ने फल खाकर उसके बीज को अपने रहने वाले जगह के पास के नरम मिट्टी पर फेंक दिया। रोजमर्रा की ज़िंदगी मे दिनभर वो जंगल मे फल खोजता और शिकार करता फिर उसी स्थान पर आकर सोता था। कुछ सप्ताह बाद एक दिन वह सुबह ऐसे ही बैठा था, तब उसका ध्यान उस बीज पर गया। उसने देखा कि उस बीज के एक तरफ से कुछ निकल रहा था। फिर कुछ दिन बाद देखा कि वह थोड़ा बड़ा होकर टहनी का रूप ले लिया था, जैसे कि उसके पास वाले पेड़ की नाजुक टहनी थी।

वह आदिमानव उस पनप रहे बीज को समझ नही पा रहा था की क्या है। लेकिन उसे रोज थोड़ा बढ़ते देख बहुत खुश होता था। समय बीतता गया और एक दिन वह बीज एक पेड़ बनकर फल देने लगा। वह आदिमानव बहुत खुश हुआ और उसे समझ में आ गया की किसी भी फल का बीज मिट्टी पर छोड़ने से एक दिन वह फल देगा। उस आदिमानव ने अपने पसंदीदा फलों को खा खा कर बहुत सारे बीज अपने आस पास फेक दिया। लेकिन बहुत सारे बीज नही बढ़े।

फिर उसने ध्यान दिया की जो बीज नरम मिट्टी मे रहता है वो बीज जमता है। फिर उसने लकड़ी के मदद से कुछ दूर तक मिट्टी को खोदकर नरम करके बीजों को फेंका, फलस्वरूप पहले से ज़्यादा बीज जमा। बीजों को जमाने के लिए आदिमानव ने पत्थर का हल बनाया और खेती करना शुरू किया। इस तरह से खेती शुरू हुआ। खेती से अब आदिमानव को इधर उधर भटकना नही पड़ता था।

खेती के लिए उन्हें बैल की ज़रूरत पड़ी जिससे वो हल चला सके। फिर वे पशु भी पालना शुरू कर दिए। कुछ पशुयों से वो दूध निकालते थे तो कुछ से वो खेती करते थे।

अब खेती को बचाने के लिए उन्हें बाकी के जंगली पशुओं को ध्यान देना पड़ता था की वो खेती नष्ट ना कर दें। इसके लिए आदिमानव खेती के पास लकड़ी, मिट्टी, पत्ते और पत्थर की सहायता से झोपड़ी बनाकर रहने लगे।

इस तरह से बाकी के आदिमानव भी खेती करने लगे और अपना अपना झोपड़ी बनाकर रहने लगे। झोपड़ी की संख्या बढ़ती गयी और आगे चलकर ये सारी बस्ती का रूप ले ली।

लोग एक साथ मिल जुल कर रहने लगे जिससे उन्हें खेती करने, हँसी खुशी से जीवन जीने, खतरनाक जंगली जानवर से बचने में आसानी हो गया।

एक बार एक आदिमानव ने देखा की एक बड़ा लकड़ी का लट्ठा उचाई से लुढ़कते हुए नीचे गिर रहा था। फिर उसने इसे देखकर लकड़ी का पहिया बनाया। जिससे वो गधे, घोड़े और बैल की सहायता से गाड़ी बनाने लगे। इससे सामान धोने में आसानी हो गया। दूर का सफर भी करना आसान हो गया। पहिये की सहायता से मिट्टी का बर्तन बनाने लगे।

आदिमानव हमेशा अपना घर नदी के किनारे बनाते थे, ताकि उन्हें आसानी से पानी मिल सके। एक बार किसी आदिमानव ने एक सूखे लकड़ी के लट्ठा को नदी में तैरते हुए देखा। उसने सोचा क्यूँ न ऐसी ही कई लट्ठों को इकट्ठा करके बांध कर नदी में तैराया जाय, उसने ऐसा किया और वो तैरने लगा। फिर उस पर कुछ वजन रखा, वो तभी भी बिना डूबे तैर रहा था। फिर वो खुद बैठा और वो अभी भी तैर ही रहा था। इस तरह से नाव का इज़ाद हुआ।

नाव के सहायता से सामान ले जाना आसान हो गया, सफर तय करना भी आसान हो गया। हालाँकि सभी तरह के सामान को ढोना मुमकिन नही था, उन्हें पैदल ढोना पड़ता था।

एक बार एक आदिमानव पत्थर से दूसरे पत्थर को टकरा कर उसे नुकीला बना रहा था। तभी उसमे से चिनगारी निकल कर पास में पड़े सूखे घास फूस में आग पकड़ लिया। उस आदिमानव को कुछ समझ में नही आया और वह डर कर अपने बस्ती के तरफ दौड़ पड़ा। वहाँ जाकर उस विचित्र चीज़ के बारे में बताया और वो सब जब तक वापस आकर आग को देखते, उतने में आग बुझ चुका था। बस राख बची थी, जो की वो भी नई चीज़ थी उनके लिए। इस तरह से आग की खोज हुई।

गर्मी के सीजन ने जंगल में आग लग गया, जिससे बहुत सारे पशु भून कर मर गए। उन भुने पशुओं को आदिमानवो ने खाया तो उसका स्वाद कुछ अलग और स्वादिष्ट लगा। फिर वो माँस को आग में भून कर खाने लगे। बहुत से बिजधारी फल जैसे गेँहू, चावल, बाजरा आदि को भी वो आग की मदद से पकाकर खाने लगे। ठंडी में आग जलाकर वो ठंड से बचने का उपाय भी करने लगे। अंधेरे में उजाला के लिए आग का इस्तेमाल करने लगे।

समुंदर के पानी को इकट्ठा करके नमक बनाने लगे। समय बीतता गया और नई नई चीज़ों का अविष्कार होता गया। आदिमानव धीरे धीरे ज़रूरत के अनुसार नियम और कानून भी बनाने लगे। ताकि एक दूसरे के साथ मिलजुल कर जीवन जीने में आसानी हो सके। यही समझदारी और सूझबूझ आदिमानव को आज एक बुद्धिजीवी मानव के रूप में बदल दिया।

आज के आधुनिक समय में मोबाइल, रेडियो, टीवी, बिजली, पेट्रोल गाड़ी, डीजल गाड़ी, परिवहन, हवाई जहाज, इंटरनेट इत्यादि सब कुछ हो गया है। जिससे मानव का जीवन बिलकुल अलग और आसान हो गया है। यही सब बदलाव ही आदिमानव से मानव जीवन का विकास है।

धन्यवाद!


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