बकरी मेरे दो गाँव खा गयी – बच्चों की कहानियाँ – SahiAurGalat

बकरी, किसान और राजा की कहानी

आज की कहानी किसान और राजा पर आधारित है।

सालों पहले की बात है! एक किसान सड़क पर भागते हुये चिल्ला रहा था और कह रहा था की, बकरी दो गाँव खा गयी – बकरी मेरे दो गाँव खा गयी। लोग उसकी इस बात को सुनकर बड़े हैरत मे पड़ गए की, भला एक बकरी दो गाँव कैसे खा सकती है।

उस राज्य के राजा के कुछ सेवको ने भी उस किसान के इस बात को अपने कानों से सुना और हैरान हो गए। फिर उस किसान को सेवकों ने पकड़कर राजदरबार मे राजा के सामने पेश किया। फिर राजा से उसकी इस अजीबोगरीब बात को बताया गया, की यह किसान पूरे मोहल्ले मे पागलो की तरह चिल्लाते हुये कह रहा है – बकरी मेरे दो गाँव खा गयी !!

राजा को अचानक उस किसान को देखते याद आया की, दो दिन पहले अपने राज दरबार से मिलों दूर जब वह किसी काम के सिलसिले मे एक गाँव के पास से गुजर रहे थे तभी उन्हे जोरों की प्यास लगी थी। तथा अपने प्यास को बुझाने के लिए वही पास के एक गन्ने के खेत मे काम कर रहे किसान के पास गए और बोले : भाई मुझे बहुत ही ज़ोरों की प्यास लगी है, ज़रा पानी पिला दो।

तो किसान बोला : हुज़ूर यहाँ इस खेत ने पानी तो नहीं मिलेगा, परन्तु मै आपको गन्ने का रस अवश्य ही पिला सकता हूँ।

राजा बोलें : कोई बात नही, गन्ने का रस ही पिला दो !

किसान यथाशिघ्र जल्दी से एक लोटे मे गन्ने का ताज़ा रस निकालकर पीने दो दे दिया।

राजा साहब गन्ने का ताज़ा रस पीकर बोलें : हे किसान भाई, यह गन्ने का रस बहुत ही ठंढा और मीठा है। यह कितने गन्ने का रस था ?

किसान बोला : हुज़ूर, यह केवल एक गन्ने का रस है !

राजा साहब बोले : क्या बात कर रहे हो ? भला एक गन्ने से पूरे एक लोटा भर रस कैसे निकल सकता है ?

किसान बोला : भाई ! यह हमारे राज्य के राजा की कृपा है, उनके नेकदिल और दरियादिली के वजह से ऐसा संभव हो पाता है, की एक गन्ने से एक लोटा भर मीठा और स्वादिष्ट रस निकलता है।

राजा बोलें : ठीक है, मुझे यह बताओ की तुम इस गन्ने की खेती का कितना लगान देते हो ?

किसान बोला : मात्र पच्चीस पैसे।

किसान की इस लगान वाली बात को सुनकर राजा को बहुत ही हैरानी हुयी की, इतने स्वादिष्ट गन्ने की खेती का लगान मात्र पच्चीस पैसे यह किसान देता है। हहम्म !! वापस राजदरबार जाकर इसका लगान और बढ़ा दूँगा। चलो ठीक है किसान भाई, जाते-जाते एक लोटा और गन्ने का रस पिला दो। किसान बोला ठीक है।

इतना कहकर किसान एक गन्ना तोड़कर रस निकाला, परन्तु लोटा नहीं भरा। फिर एक और गन्ने से रस निकाला फिर भी लोटा नहीं भरा, फिर एक और गन्ना तोड़ा और रस निकाला लेकिन इस बार भी लोटा नहीं भरा। किसान मायूस होकर खाली भरा रस का लोटा पीने को दे दिया।

राजा बोले : अरे भाई ! यह लोटा खाली क्यूँ है ? पूरा भरा नहीं है !

किसान मायूस होते हुये बोला : जनाब,, लगता है, हमारे राजा का नियत खराब हो गया है। गन्ने के बारे कुछ गलत सोच लिए है हमारे राजा साहब !

राजा के पैरो तले ज़मीन खिसक गयी,, राजा बड़े ही असमंजस मे पड़ गए, की भला इंसान के नियत बदलने से पेड़-पौधे पर भी इस तरह का असर पड़ सकता है ? राजा जी बहुत ही परेशान हो गए और सोचने लगे की मेरे राज्य दरबार के महान ज्ञानी पण्डित भी जो मुझे ज्ञान का पाठ नहीं पढ़ा सके वो आज इस किसान ने मुझे पढ़ा दिया।

फिर राजा ने किसान से पूछा की : हे किसान तुम जानते हो मै कौन हूँ ? किसान बड़ा ही हैरानी पूर्वक राजा के तरफ देखते हुये उत्तर दिया, नहीं ! मै नहीं जानता आप कौन हैं ? फिर राजा ने बताया की मै तुम्हारे राज्य का राजा हूँ!

किसान डरते हुये बोला : राजा साहब अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो तो मुझे माफ करें!

राजा बोलें : हे किसान, माफी मत माँगो। तुमने कोई गलती नहीं की है ! अपितु तुमने मुझे बहुत ही बड़ा ज्ञान का पाठ पढ़ाया है, जो बड़े बड़े विद्वान भी नहीं पढ़ा सकते। मै आज से तुम्हारे आगे के सारे लगान शून्य करता हूँ। अब जल्दी से जाओ और लोटा भरके गन्ने का रस ले आओ।

किसान जल्दी से एक गन्ना तोड़ा और उससे रस निकाला, इस बार एक ही गन्ने के रस के पूरा लोटा भर गया। फिर राजा साहब को दिया। राजा ने उस रस को पिया। फिर एक पीपल के पत्ते पर इस किसान को दो गाँव देने का हुक्म लिखकर, उस किसान को दे दिये। और बोले की कल राजदरबार आकर यह पत्ता दिखाकर पक्का कागज बनवा लेना।

राजा अपने राजदरबार को चले गयें और किसान उस पत्ते को अपने बगल मे रखकर काम करने लगा। तभी उस किसान की बकरी घास चरते चरते उस पीपल के पत्ते के पास जा पहुँची और पत्ते को खाना शुरू कर दिया। जब तक किसान का ध्यान उस पत्ते पर जाता, तब तक बकरी उस पत्ते को पूरा खा गयी। किसान यह सोचकर रोने लगा की, बिना पत्ते के राजा साहब मुझे पहचानेंगे कैसे? राजा के दरबार की तरफ दौड़ते हुये चिल्लाने लगा की, हाय ! बकरी मेरे दो गाँव खा गयी।

राजा को किसान की बकरी के दो गाँव खा गयी, वाली बात पर हँसी आ गयी। फिर राजा ने किसान को शान्त कराते हुये, पक्के कागज पर दो गाँव देने का हुक्म लिखकर दिया। और कहा किसान – इस बार इस दो गाँव को बकरी से बचाकर रखना !!!,, राजा के इस बात पर राज दरबार के सभी लोग ठहाके लगाकर हँसने लगे।


धन्यवाद !

और पढे :

1: भविष्य के लिए वर्तमान न खोयें, वर्तमान ही आपकी आने वाली भविष्य है

2: बुराई की जड़ का अंत : चाणक्य की प्रेरणादायक बातें


टिप्पणी : यह साझा की गई प्रेरणादायक कहानी लेखक की मूल रचना नहीं है, लेखक द्वारा इसे पहले कही पढ़ा या सुना गया है, तत्पश्च्यात इसे केवल कुछ संशोधनों के साथ हिंदी संस्करण में प्रस्तुत किया गया है। धन्यवाद !

One thought on “बकरी मेरे दो गाँव खा गयी – बच्चों की कहानियाँ – SahiAurGalat

कमेंट करके अपना विचार प्रकट करें