प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन – Snell’s Rule

प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन

क्या आपने कभी सोचा है जब हम दर्पण में अपना चेहरा देखते है, तो उसमे हमारा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। क्योंकि हमारी छवि चमकदार सतह से टकराती है। शांत जल में भी हमारा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। लेकिन दर्पण में हमे स्पष्ट रुप से दिखाई देता है। जल में ऐसा लगता है की जल के अंदर खड़े है या उल्टा छवि दिखाई देता है। ऐसा क्यों होता है ? क्या अपने कभी गौर किया है ? ये सभी परावर्तन और अपवर्तन के कारण होता है। तो चलिये आज हम इसके बारे में अच्छे से समझते हैं।

प्रकाश का परावर्तन : (Reflection of light)

जब प्रकाश की किरणे किसी तल से टकरा कर, उसी माध्यम से वापस चली जाती है। तो उस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है। परावर्तन समतल तल पर होता है।

कोई एक दर्पण लीजिये और उस पर टार्च जलाइये तब देखिए की जो टॉर्च की प्रकाश की किरणें है, वो वापस उसी माध्यम में चली आएगी। जब दर्पण में हम अपना प्रतिबिम्ब देखते है, तो वो परावर्तन के कारण ही होता है। प्रकाश का परावर्तन चमकदार वस्तु के कारण होता है। जैसे ध्वनि की परावर्तन में ध्वनि सुनायी देती है। हवा, जल की तरंगें, प्रकाश तथा अन्य विघुत चुम्बकीय तरंगों का परावर्तन।

परावर्तन के नियम : (Law of reflection)

प्रकाश के परावर्तन के दो नियम है। लेकिन इन नियमो को जानने से पहले हमको कुछ परिभाषा का ज्ञान होना जरूरी है। कैसे पहचाने की कौन सी किरण है और कौन सा कोण है, तो चलिए इन नियमो और परिभाषा के बारे में विस्तार से समझते है।

प्रथम नियम : आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब ये तीनो एक ही तल में होते है।

प्रकाश का परावर्तन
समतल दर्पण पर प्रकाश का परावर्तन और इससे होने वाली घटना को क्या कहते है बताया है।

प्रकाश जिस माध्यम से होकर जाता है, उसे आपतित किरणे (incident ray) कहते है। और जिस माध्यम से होकर वापस जाता है, उसे परावर्तित किरणे (Reflected beam) कहते है। तथा जिस बिंदु से टकराते है, उसे आपतन बिंदु कहते है। किसी तल के बिंदु पर खिंचे लम्ब को अभिलम्ब कहते है।

द्वितीय नियम : आपतन कोण और परावर्तन कोण दोनों आपस में बराबर होते हैं।

आपतन बिंदु पर खिंचे अभिलम्ब और आपतीत किरणे के बीच के कोण को आपतन कोण कहते है। परावर्तित किरणे और आपतन बिंदु पर खिंचे अभिलम्ब के बीच के कोण को परावर्तन कोण कहते है।

प्रकाश का अपवर्तन : (Refraction of light)

जब प्रकाश किरणे एक समांग माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, उसे प्रकाश का अपवर्तन कहते है।

प्रकाश का अपवर्तन
जल से भरे पारदर्शी गिलाश में पेंसिल के द्वारा जल में अपवर्तन की क्रिया समझाई गयी है।

जल से भरा एक काँच का गिलाश लें, उसमे पेंसिल डाले फिर देखे की पेंसिल जल में टेडी दिखाई देती है। उसी तरह प्रकाश जल में अपने दिशा से विचलित हो जाती है। ये घटना अपवर्तन के कारण होता है।

अपवर्तन के नियम : (Law of refraction)

प्रकाश अपवर्तन के दो नियम है। तो चलिए इन दो नियमो के बारे में विस्तार से समझते है।

प्रथम नियम : आपतित, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब ये तीनो एक ही तल में होते है।

आपतन, आपतित किरणे और अभिलम्ब के बारे में ऊपर बताया जा चुका है। अपवर्तित किरण क्या है, ये समझते है।
जब किरणे एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो आपवर्तित किरणे (Refracted beam) कहलाती है।

द्वितीय नियम : आपतन कोण की ज्या (sine) व अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात दोनों माध्यमो के अनुपात के बराबर होता है। तथा पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक (n) कहलाता है।

(Sin i / Sin r) = n

जहाँ :- आपतन कोण (i) और परावर्तन कोण (r) से प्रदर्शित करते है।

इन नियमो को स्नेल का नियम भी कहते है। आपतन कोण ऊपर बताया गया है। अपवर्तन कोण क्या है ?

आपवर्तित किरणे और अभिलम्ब के बीच के कोण को अपवर्तन कोण कहते है।

परावर्तन और अपवर्तन में अंतर : (Difference between refraction and reflection)

प्रकाश की किरणे जिस भी तल से टकराती है, वे टकराने के बाद विचलित ज़रूर होती हैं। ये परावर्तन या अपवर्तन के कारण होती है। तो चलिए जानते है, इनमे अंतर क्या है ?

  • परावर्तन में किरणे जिस माध्यम से आते है, फिर उसी माध्यम से वापस लौट जाते है या परावर्तित होते है।
  • परावर्तन में किरणें एक ही माध्यम मे जिस सतह पर जिस कोण पर टकराती हैं, उसी कोण पर परावर्तित भी होती हैं
  • अपवर्तन में किरणें एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करते है और अपने मार्ग से विचलित हो जाते है।
  • अपवर्तन में प्रकाश की दिशा और गति दोनों बदल जाती है।

नियमित परावर्तन और अनियमित परावर्तन में अंतर : (Difference between regular reflection and irregular reflection)

प्रकाश की किरणे पहली घटना में नियमित दिशा में जाती है, तो दूसरे घटना में अनियमित दिशा में जाती है। तो जानते है की कब ये नियमित होते है। कब विसरित हो जाते है।

पॉलिश की गयी दर्पण और समतल तल पर होने वाले परावर्तन को नियमित परावर्तन कहते है। हम दर्पण में नियमित परावर्तन के कारण ही अपने आप को देख पाते है। अनियमित या विसरित परावर्तन एक दिशा में नही होती है। सभी परावर्तित किरणे एक दूसरे के समान्तर नही होती है। ये चिकने तल पर परावर्तित नही होती है।

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मेरा नाम गीता मौर्या है। मैं कंप्यूटर बेसिक नॉलेज कोर्स से सर्टिफाइड हूँ। फिलहाल मै बीए कर रही हूँ।

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